रक्षा बंधन का त्यौहार 30 अगस्त को ही शास्त्र सम्मत, श्रीगंगा सभा ने किया विद्वानों व ज्योतिषाचार्यो के साथ चिन्तन

 

हरिद्वार। रक्षा बंधन सूत्र बांधने का पर्व 30 अगस्त को शास्त्रों के अनुसार मनाया जायेगा। शास्त्रों में वर्णित प्रावधान के अनुसार रक्षाबंधन भद्रा रहित समय रात्रि 9 बजकर 02मिनट के बाद मनाया जायेगा, जबकि श्रावणी उपाकर्म भी उसी दिन पूर्वान्ह ग्यारह बजे के बाद दिन में किया जा सकता है। श्रीगंगा सभा द्वारा की गयी पहल पर विद्वानों एवं ज्योतिषजनों की बैठक आहूत की गयी।

गुरूवार को श्रीगंगा सभा की ओर हरकी पैड़ी स्थित श्री गंगा सभा कार्यालय में विद्वान पण्डितों एवं ज्योतिषाचार्यो की श्रीगंगा सभा विद्वत परिषद के साथ हुई बैठक में कई धार्मिक एवं ज्योतिषीय ग्रंथों का अवलोकन एवं अध्ययन के बाद तार्किक रूप से तिथि का विश्लेषण करने के उपरांत यह निर्णय लिया गया। श्रीगंगा सभा कार्यालय में आयोजित बैठक में करीब 20 ग्रंथों का अवलोकन किया गया। बैठक में श्रीगंगा सभा अध्यक्ष नितिन गौतम, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, श्रीगंगा सभा विद्वत परिषद सचिव आचार्य करूणेश मिश्रा, समाज कल्याण मंत्री विकास प्रधान, प्रचार सचिव शैलेष मोहन, पं. आशीष अल्हड़, उत्तराखण्ड संस्कृत विवि के विद्वान पं. शैलेष कुमार तिवारी, पं. संदीप शास्त्री, पं. चन्द्रमोहन विद्याकुल, पं. दीपक कोठारी, डॉ. कंचन तिवारी, पं. घनश्याम उनियाल सहित कई विद्वानों ने अपने-अपने मत को सभी के समझ रखा।

इस दौरान उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं. शैलेष कुमार तिवारी ने धर्मसिन्धु, निर्णय सिंधु सहित करीब 20 धर्म शास्त्रों, ग्रंथों में दो दिन पड़ने वाले तिथियों को लेकर वर्णित निर्णय का अवलोकन करते हुए सभी विद्वानों के अवलोकन के लिए रखा गया। पारस्कर ग्रहयसूत्र, गोकिल, कृत्यसार समुच्चय, मानव ग्रहयासूत्र, बोधायन ग्रहयसूत्र, व्रतोत्सव प्रकाश, मदन रत्न, वर्षकृत्य, मदन परिजात, हरिवंश पुराण, प्रयोग परिजात, व्रतराज, व्रतोद्यापन चन्द्रिका, भविष्य पुराण, व्रत एंव पर्व संहिता, खादिर ग्रहयसूत्र, स्मृति कौस्तुभ, पुरूषार्थ चिन्तामणि, मदन महार्णव जैसे करीब दो दर्जन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित तथ्यों, तथा सूत्रों का अवलोकन किया गया। इस दौरान श्रीगंगा सभा विद्वत परिषद के विद्वानों के समक्ष सभी ग्रंथों में वर्णित तथ्यों का अवलोकन किया गया। आपस में चर्चा उपरांत निष्कर्ष निकाला गया कि रक्षा बंधन का त्यौहार 30 अगस्त को ही मनाया जाये। 30अगस्त को दिन में 10बजकर 58मिनट के उपरांत पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जायेगी, जो अगले दिन तीन मुहर्त तक नहीं रहेगी, शास्त्रों में तथ्यों के अनुसार अगर पूर्णिमा सूर्योदय के उपरान्त तीन मुहूर्त (2 घंटा 24 मिनट) से कम हो तो चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा (पूर्व दिवस) को ही रक्षा बन्धन के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसलिए शास्त्र सम्मत रक्षा बंधन का पर्व तथा श्रावणी उपाकर्म का कार्य 30 अगस्त को ही पूर्ण किये जायेंगे। पूर्वान्ह ग्यारह बजे के बाद श्रावणी उपाकर्म तथा रात्रि में 9बजकर 02मिनट के बाद जब भद्रा नक्षत्र खत्म हो जायेगी, उस समय से रक्षा बंधन सूत्र बांधने का कार्य किया जायेगा।

इस सम्बन्ध में श्रीगंगा सभा विद्वत परिषद सचिव आचार्य करूणेश मिश्रा के अनुसार इस वर्ष रक्षा बंधन त्यौहार को लेकर कुछ भ्रांतिया उत्पन्न हो गयी थी। इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए श्रीगंगा सभा द्वारा गुरूवार को विद्वत परिषद के साथ कई विद्वानों तथा ज्योतिषाचार्यो की बैठक बुलाकर एकमत करने का कार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि बैठक में उपस्थित सभी विद्वानों एवं ज्योतिषाचार्यांे ने विभिन्न धार्मिक एवं ज्योतिषीय ग्रंथों का अवलोकन करते हुए अपना अपना मत सभी के समक्ष प्रस्तुत किए। सभी मतों को सुनने के बाद निष्कर्ष के तौर पर निर्णय लिया गया है कि रक्षा बंधन के साथ श्रावणी उपाकर्म का त्यौहार शास्त्र सम्मत 30 अगस्त को ही मनाया जायेगा।