हमें रोकनी होगी प्रकृति के साथ छेड़छाड़, ताकि हमारे पर्यावरणीय स्वास्थ्य में हो सके सुधार

चलो प्रकृति की ओर…

_अहो एषां वरं जन्म सर्व प्राण्युपजीवनम्।_

_धन्या महीरूहा येभ्यो निराशां यान्ति नार्थिन: ।।_

देहरादून : हमें पर्यावरण स्वास्थ्य के मानकों पर निरन्तर गुणवत्ता बढ़ाने हेतु बहुत काम करने की आवश्यकता है।  दुःख के साथ ज्ञापित करना पड़ रहा है कि पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) 2022 में भारत 180 देशों में 180वें स्थान पर है। 18.9 के मामूली स्कोर के साथ भारत का स्थान पाकिस्तान (176), बांग्लादेश (177), वियतनाम (178) और म्यांमार (179) के बाद है। ईपीआई के अनुसार, भारत कानून के शासन, भ्रष्टाचार नियंत्रण और सरकारी प्रदर्शन के मामले में भी खराब स्थान पर है। “खतरनाक वायु गुणवत्ता और तेजी से बढ़ते  ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण भारत पहली बार रैंकिंग में सबसे नीचे आ गया है।”  27.6 स्कोर के साथ भारत EPI-2020 में 168वें स्थान पर था। डेनमार्क, यूनाइटेड किंगडम, फिनलैंड, माल्टा और स्वीडन क्रमशः प्रथम पाँच स्थानों पर हैं। हमें प्रकृति के साथ छेड़छाड़ रोकनी होगी ताकि हमारे पर्यावरणीय स्वास्थ्य में सुधार हो सके। हमें अब प्रकृति विरुद्ध परियोजनाओं का विरोध करना होगा ताकि हम अगले वर्षों में पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में ऊपर आ सकें!

_दरख्तों से रिश्तों का_

 _हुनर सीख लो मेरे दोस्त_

_जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं,_

 _तो टहनियाँ भी सूख जाती हैं.._

शुभ विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस!!

लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.