कोटद्वार। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार में एक दिवसीय कार्यशाला चरक मृदा जैविक खाद का आयोजन जैव प्रौद्योगिकी, जंतु विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा भौतिक विज्ञान के संयुक्त प्रयास से एक दिवसीय कार्यशाला चरक मृदा जैविक खाद का आयोजन किया गया । इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर जानकी पंवार, वनस्पति विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर एमडी कुशवाहा , बीएड विभाग के प्रोफेसर रमेश चौहान, रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अभिषेक गोयल एवं जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर आदेश कुमार ने जैवीय अघटय पदार्थ पदार्थ एवं केंचुए को अपने हाथों से खाद के लिए बनाए गए पिट में डालकर शुरुआत की ।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर जानकी पंवार ने छात्र-छात्राओं को जैविक खाद के महत्व एवं इसे रोजगार से जोड़कर इसका महत्व बताया । कार्यशाला को संबोधित करते हुए वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एमडी कुशवाहा ने जैविक खाद के विभिन्न उपयोग एवं महत्व पर प्रकाश डाला । बीएड विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रमेश चौहान ने महाविद्यालय द्वारा निर्मित वर्मिकम्पोस्ट का नाम महर्षि चरक के नाम पर चरकमृदा रखने का सुझाव दिया और समस्त टीम को शुभकामना दी । इस अवसर पर जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर आदेश कुमार ने जैविक खाद पर अपने विचार साझा किए । इस अवसर पर रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अभिषेक गोयल ने जैविक खाद को मशरूम से संबंधित रोजगार परख योजनाओं से जोड़कर बताया ।
इस अवसर पर कार्यशाला की संयोजिका डॉ सुनीता नेगी ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए वर्मी कंपोस्ट की उपयोगिता एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला और यह भी बताया कि वर्मी कंपोस्ट को अपनाकर कम लागत में अधिक लाभ पा सकते हैं और यह घर बैठे ही रोजगार का अच्छा माध्यम साबित हो सकता है । कार्यशाला के सहसंयोजक एवं रसायन विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर सुरेश कुमार ने चरक मृदा के निर्माण में उपयोग होने वाली विभिन्न वैज्ञानिक पद्धतियों एवं विधियो को विस्तार से विद्यार्थियों को प्रयोगात्मक रूप से कराया । साथ ही कार्यशाला चरक मृदा को वृहत मात्रा में बनाकर भारत को आत्मनिर्भर कैसे बनाया जा सकता है, को बताया । इस अवसर पर डॉ प्रवीण जोशी, डॉ डीएस चौहान ,डॉ सरिता चौहान, डॉ हरीश प्रजापति, विमल त्यागी तथा महाविद्यालय के स्नातक एवं स्नातकोत्तर विषयों के लगभग साठ विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।