कार्य के भविष्य के लिए रूपरेखा, नई प्रौद्योगिकी कार्य, कार्यस्थल और कार्यबल के स्तर पर ला रही हैं बदलाव

नई दिल्ली : हम काम करने के तरीके में बड़े पैमाने पर वैश्विक बदलाव को देख रहे हैं। यह आईआर 4.0, ऊर्जा संक्रमण और नए युग की प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित ‘कार्य के भविष्य’ के रूप में हमारे सामने है। नई प्रौद्योगिकियां ‘कार्य’, ‘कार्यस्थल’ और ‘कार्यबल’ के स्तर पर बदलाव ला रही हैं। हम विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की संरचना में व्यापक बदलाव देख रहे हैं। यह उच्च-स्तरीय अनुभूति और सामाजिक-भावनात्मक कौशल की आवश्यकता वाले नए रोजगारों के आगमन से प्रमाणित है। ‘कार्य के भविष्य’ को समायोजित करने के लिए सभी सामाजिक आर्थिक क्षेत्रों में आशावाद के साथ-साथ संदेह भी व्याप्त है।

इस प्रकार के व्यापक वैश्विक परिवर्तनों के संदर्भ में गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता होती है। जी-20 अपने सभी आर्थिक और सामाजिक आयामों के साथ ‘काम के भविष्य’ पर चर्चा करने के लिए सही मंच है। यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 85 प्रतिशत और वैश्विक आबादी के दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है। जी-20 जो ‘काम के भविष्य’ से निकलने वाली प्रवृत्तियों का प्रबंधन करने के लिए राष्ट्रों की पूरक शक्तियों के साथ वैश्विक हित के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए एक रूपरेखा तैयार कर सकता है। भारत की अध्यक्षता में जी-20 ने जी-20 कौशल रणनीति और क्षमता निर्माण, आजीवन शिक्षण और निगरानी से जुड़े इसके संबंधित पहलुओं को चर्चाओं के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में रखा है। पूरी दुनिया के लिए ये विचार-विमर्श प्रासंगिक हैं। यह जी-20 और वास्तव में दुनिया को शैक्षिक और प्रशिक्षण प्रणालियों के बारे में फिर से परिकल्पना करने के कार्य की नये सिरे से शुरुआत करने का अवसर प्रदान करता है ताकि शिक्षार्थियों को जीवन को सही दिशा में ले जाने, समाज में योगदान देने और रोजगार के उभरते बाजारों के अनुकूल आवश्यक कौशल से लैस किया जा सके।

ऑटोमेशन, बिग डेटा, एआई और अन्य प्रौद्योगिकियों के माध्यम से हमारे चारों ओर तेजी से तकनीकी व्यवधान के संदर्भ में ‘कार्य के भविष्य’ की कुछ प्रमुख अभिव्यक्ति दिखाई देती है। जहां एक तरफ इसने उत्पादकता में पर्याप्त वृद्धि को सक्षम किया है, वहीं दूसरी तरफ इसने भविष्य में रोजगार के बाजार के दायरे, आकार और समावेश से जुड़े सवाल भी उठाए हैं। कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में 2050 तक कामकाजी उम्र की आबादी 25 प्रतिशत से कम होने का अनुमान है। दुनिया भर में यह जनसांख्यिकीय विचलन चिंता पैदा कर रहा है। जी-20 के तहत शिक्षा और श्रम कार्य समूह के विचार-विमर्श ने वास्तव में कुछ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति को चिन्हित किया है। इसमें सामूहिक जी-20 कौशल रणनीति को लागू करने के लिए संकेतक और स्कूल और टीवीईटी में निरंतर शिक्षण, शिक्षा और शिक्षण के परिणामों में सुधार के तरीके शामिल हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/राज्यों में फैले शिक्षा और कौशल से संबंधित आधारभूत संरचना में निर्बाध ऋण संचय और हस्तांतरण, व्यावसायिक से सामान्य शिक्षा और कौशल के वितरण को एकीकृत करके सभी स्तरों पर कौशल और व्यावसायिक शिक्षा के एकीकरण के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है। इसका उद्देश्य शिक्षण को अधिक पेशा-उन्मुख, स्वस्थ बनाना और रोजगार क्षमता को बढ़ाना है। इसमें यह भी परिकल्पना की गई है कि हमारे शिक्षा और कौशल संस्थान ऐसे व्यक्तियों को तैयार करने में सक्षम हैं, जो अर्थव्यवस्था और रोजगार के बाजार में परिवर्तन के लिए लचीला और अनुकूल हैं।

‘कार्य के भविष्य’ के लिए कार्यबल तैयार करना एक बहुआयामी और बहु-हितधारक जिम्मेदारी है। डोमेन और सॉफ्ट कौशल के अलावा, शिक्षा-कौशल संबंधी इको-सिस्टम को छात्रों में रचनात्मकता, समस्या सुलझाने और विश्लेषणात्मक सोच के कौशल को स्थापित करना चाहिए, ताकि उन्हें नए युग की अर्थव्यवस्था के लिए तैयार किया जा सके। हम विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों में गतिशील कौशल मूल्यांकन और प्रत्याशा की आवश्यकता को पहले से कहीं अधिक देखते हैं, क्योंकि ऑटोमेशन से शॉप फ्लोर और ग्राहक से जुड़ने के तरीकों में बदलाव होता है। कौशल संबंधी आधारभूत संरचना को भी संस्मरण और सिद्धांत से उन्नत करने की आवश्यकता होगी। इसके लिए हस्तांतरणीय रोजगार कौशल पर अधिक ध्यान देते हुए दुनिया को समझना होगा। हमें स्थानीय/जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के हितधारकों में कार्यान्वयन से जुड़े भागीदारों की क्षमता को भी बनाए रखना चाहिए, ताकि उन्हें इस परिवर्तन को अक्षरश: लागू करने के लिए आवश्यक कौशल और प्रेरणा से लैस किया जा सके। प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ ‘कार्य के भविष्य’ को समावेश करने और श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी, वंचित वर्गों/भौगोलिक क्षेत्रों तक कौशल की पहुंच और उन वर्गों की मदद करने जैसी सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए भी नए सिरे से प्रयास करने की आवश्यकता है, जिन्हें नई अर्थव्यवस्था के साथ मुख्यधारा में लाना मुश्किल लगता है।

भारत के नेतृत्व में ग्लोबल साउथ अपने कार्य के भविष्य के लिए अपनी शिक्षा-कौशल प्रणालियों को उन्नत करने के लिए आवश्यक सुधार करते हैं, यह स्वचालित रूप से जी-20 के तहत विभिन्न देशों के बीच सहयोग और गतिशीलता के पूरक अवसरों की एक श्रृंखला की शुरुआत करता है, जो विपरीत जनसांख्यिकीय और आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हैं।

लेखक : सचिव कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय अतुल कुमार तिवारी