भ्रष्टाचार की शिकायतों से भरपूर कोटद्वार तहसील में कुछ दिन पहले जमीनों से जुड़े वैध काम के लिए भी पैसा मांगने की बात सामने आई थी जहा बिना पैसा दिए काम को किसी न किसी बहाने से टरकाने का आरोप लगा था, अब एक शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया की एक छोटी सी परमिशन के लिए जब वो कोतवाली और नगर निगम कार्यालय गया तो तुरंत परमिशन दे दी गई लेकिन तहसील कार्यालय में जाते ही उस कार्य के लिए दिए गए आवेदन पर ठप्पा लगाने के नाम पर मिठाई मांगी जाने लगी। आवेदक ने जब कहा मिठाई बाद में मिल जायेगी तो कुर्सी पर बैठा कर्मचारी कहता है की ठीक है फिर परमिशन भी बाद में मिल जायेगी। दरअसल सरकारी सिस्टम में इस तरह की मनमानी के खिलाफ आम आदमी आवाज नही उठा पाता क्योंकि उसे भी पता है की हम तो चक्कर लगाते ही रह जायेंगे और अपने ही विभाग के लोग जांच के नाम पर अपने कर्मचारी को बचा ले जायेंगे, जिसके बाद भी ये सब यूं ही जारी रहेगा। यदि किसी आवेदक के कागजों में कोई कमी है तो कमी बताना तो बिल्कुल जायज़ है लेकिन सब कुछ ठीक होने पर भी मिठाई मांगने का ये रिवाज आखिर कब शुरू हुआ क्यों शुरू हुआ और कब तक चलेगा…ये भी जांच का विषय है।