देहरादून-उत्तराखंड की राजधानी देहरादून देश भर में पर्यटन, शिक्षा, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए खासा जानी जाती है जो राजधानी दिल्ली से 230 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां की सुंदरता का तो वैसे ही सबका मन मोह लेती है लेकिन इसकी सुंदरता में चारचांद लगाते हैं यहा के लीची, आम़ जैसे पेड़ जिन्हें देख पर्यटक न सिर्फ देखते ही रह जाते हैं बल्कि इन फलों को चखे बिना भी राह नही पाते है। इतना ही नहीं, यहां का पलटन बाजार लोगों की पसंद को हमेशा से ध्यान में रखने के कारण बरबस ही अपनी ओर खींचता है. सिर्फ बाजार ही नहीं बल्कि आधुनिक मौल्स भी शहर को मौडर्न लुक देते हुए प्रतीत होते हैं।

कहने भर के लिए यह सिर्फ एक गुफा है लेकिन नजारा दिल को छू जाने वाला. इस 600 मीटर लंबी गुफा में जैसेजैसे आप आगे बढ़ेंगे, आप को 10 मीटर ऊंचाई से गिरते हुए छोटेछोटे झरने दिखेंगे. जिन का ऊपर से गिरना पानी में अठखेलियां करने को आमंत्रित करता है. सब से खास बात यह है कि इस गुफा में कदम रखते ही आप को बिलकुल भी गंदगी नहीं दिखेगी. पानी इतना साफ, कि देख कर उस में नहाने को मन करे. पानी से गुजरते हुए आप को कंकड़पत्थर भी मिलेंगे, जिन्हें आप यादगार के तौर पर अपने साथ संजो कर भी ला सकते हैं, लेकिन कंकड़ कहीं पैरों में चुभ न जाएं, इसलिए थोड़ी सावधानी बरत कर ही चलना चाहिए.‘बस डरें नहीं, लेकिन संभल कर चलें, आगे अभी तो और हैं खूबसूरत नजारे’, यह उस गुफा से निकलने वाला व्यक्ति अपने पीछे आने वाले  साथियों से कहता चलता है जिन के चेहरे पर डर साफ झलक रहा होता है.

अगर हम यह कहें कि आप देहरादून घूमने गए और गुच्चुपानी के दीदार नहीं किए तो क्या देखा, कहना गलत नहीं होगा क्योंकि यहां का नजारा मन को रोमांचित जो कर देता है. गुच्चुपानी गुफा जैसी है. ऊंचेऊंचे पहाड़ों के बीच में बहती जलधारा के बीच से जाना काफी रोमांचक लगने के साथसाथ मन में रोमांस भी पैदा करता है. इस में से जाते हुए गुफानुमा एहसास होता है. बहते पानी के दोनों ओर पहाडि़यां हैं जिन्हें पानी में चलते हुए या दूर से देख कर आप को ऐसा एहसास होगा जैसे दोनों पहाडि़यां जुड़ी हुई हैं लेकिन असल में ऐसा नहीं है. ये पहाडि़यां आपस में मिलती नहीं हैं, लेकिन ऐसा पास जाने पर ही पता चलता है. पर्यटक जब उन दोनों पहाडि़यों के बीच में से निकल कर दूसरी ओर जाते हैं तो उन के मन में खुशी की जो लहर दौड़ती है, शायद उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल होगा.

अकसर यहां आने वाले पर्यटक गुफा में पानी के स्पर्श को महसूस करने के लिए कैपरी या शौर्ट्स वगैरा पहन कर आते हैं या फिर घुटनों तक अपने कपड़ों को ऊपर उठा कर ठंडेठंडे पानी में भीगने का लुत्फ उठाते हैं और अपने मुंह से ‘नैचुरल ब्यूटी टच द हार्ट’ कहते हुए आगे बढ़ते चलते हैं. सब से अच्छा यह है कि जो पर्यटक यहां पहली बार आते हैं और इस तरह के कपड़े पहन कर नहीं आते जिस से पानी के अंदर जाया जा सके, जैसे साड़ी वगैरा तो वे वहां दुकानों से किराए पर कुछ घंटों के लिए कपड़े ले लेते हैं और फिर खुद को डुबो लेते हैं इस रोमांचक माहौल में.

आप को जान कर हैरानी होगी कि इस गुफा को अंगरेजों के समय से रौबर्स केव कहा जाता है. इस का कारण यह है कि उस समय डकैत डाका डालने के बाद छिपने के लिए इस जगह का इस्तेमाल करते थे जो वर्तमान में गुच्चुपानी के नाम से जानी जाती है और उत्तराखंड सरकार के संरक्षण में इस की देखरेख होती है. यहां प्रवेश शुल्क के रूप में सरकार द्वारा 25 रुपए प्रति व्यक्ति शुल्क निर्धारित किया गया है. और हां, अगर आप ने यहां गंदगी फैलाई तो 200 रुपए जुर्माना देने के लिए तैयार रहें. यहां आ कर अकसर टूरिस्ट खानपान की दुकानों पर मोमोज, मैगी, ठंडीठंडी हवा में चाय की चुस्कियां लेना नहीं भूलते. वैसे, यहां खानापीना वही है जो आमतौर पर सभी पहाड़ी स्थानों पर होता है. और अगर आप चाहते हैं कि इतनी दूर आए हैं तो थोड़ी शौपिंग करते चलें तो इस के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है बल्कि इस के लिए आप को दून मार्केट ही जाना पड़ेगा. इस के लिए आप को टैक्सी, बस वगैरा लेनी पड़ेगी.

आप को यहां पहुंचने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी क्योंकि यह स्थान देहरादून बसस्टैंड से 8 किलोमीटर दूर ही स्थित है. आप बस, ट्रेन, फ्लाइट वगैरा किसी भी माध्यम से देहरादून पहुंच सकते हैं. रेलवेस्टेशन देहरादून और एयरपोर्ट जौली ग्रांट है. देहरादून से गुच्चुपानी पहुंचने के लिए आप को टैक्सी, बस वगैरा बहुत आसानी से मिल जाएंगी. भले ही यह छोटा सा पिकनिक स्पौट हो लेकिन यहां की सुंदरता दिल में संजो कर रखने वाली है.

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