खुद को जनता का शुभचिंतक कहने वाले कोटद्वार के नेताओं की पोल खोलते एक बड़े घोटाले में सभी नेताओं की खामोशी इन नेताओं पर सवाल खड़ी कर रही है। दरअसल कोटद्वार के बद्रीनाथ मार्ग, गिवईश्रोत में सरकार द्वारा मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए भूमि आवंटित की गई थी। जिसमें गलत ढंग से श्रेणी परिवर्तन पर ये भूमि बटवारा करते हुए ये निजी लोगों को बेच दी गई। करोड़ों रुपए की इस भूमि में हुए बड़े घोटाले पर एक भी राजनैतिक दल द्वारा आवाज नहीं उठाई गई, क्योंकि सूत्रों के अनुसार जमीन उन लोगों को बेची गई जो चुनाव के समय कुछ प्रत्याशियों को चंदे के रूप में बड़ी धनराशि देते है। इस भूमि से जुड़े सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड प्रशासन के पास उपलब्ध है, जिनमें जांच रिपोर्ट भी शामिल है। कुछ साल पहले चंद अधिकारियों, राजनेताओं और भू माफियाओं की मिलीभगत के चलते इस भूमि की श्रेणी में परिवर्तन कर भूमि का बंटवारा करते हुए इसे निजी लोगों को बेच दिया गया, जो गैर कानूनी है। जिसपर लगातार आवासीय भवन, व्यावसायिक भवन और अन्य निर्माण किए जा रहे है। इस घोटाले में लंबे समय से जांच करने के नाम पर टाल मटोली की जा रही है, जिससे प्रतीत होता है कि अब भी संबंधित विभाग के कुछ अधिकारी पुराने अधिकारियों के बचाव के लिए इस घोटाले पर कार्यवाही नहीं करना चाहते। सभी राजनैतिक दलों के उन नेताओं पर भी सवाल खड़े हो रहे है जो अक्सर एक दूसरे का भ्रष्टाचार उजागर करते आए है पुतला दहन, धरना और प्रदर्शन करते आए है. जिन्होंने एक बार भी इस मामले को उजागर करने का प्रयास नहीं किया। जबकि इस स्थान को खाली कराते हुए इस पर अन्य कोई सरकारी कार्य जैसे नगर निगम द्वारा वाहन पार्किंग आदि बनाई जाए तो इससे सरकार की आय और जनता को सुविधा के साथ ही सड़क पर लगने वाले जाम से भी राहत मिलेगी। लेकिन शायद इस तरह की सोच किसी भी नेता की नहीं जो इस भूमि घोटाले पर कार्यवाही कराते हुए जनहित में इस भूमि को प्रयोग में लाने की बात करे…
अब इस घोटाले पर कार्यवाही को लेकर उत्तराखंड सरकार को फिर लिखित शिकायत की गई है और देखना ये है कि अब भी अगर इस घोटाले में कार्यवाही नहीं होती तो कितने राजनैतिक दलों के नेता इस मामले में कार्यवाही का ज्ञापन देते है, धरना करते है प्रदर्शन करते है… या फिर पहले की तरह खामोश रहते है।