Rocky Aur Rani Ki Prem Kahani Review: क्या रॉकी और रानी की प्रेम कहानी देखने लायक है?

Rocky Aur Rani Ki Prem Kahani एक रोमांटिक फिल्म है, जिसका निर्देश पूरे सात साल बाद करण जौहर ने किया है. करण जौहर ने इस फिल्म पंजाबी और बंगाली तड़का डालते हुए एक पारिवारिक लव स्टोरी बनाई है. यह मूवी कहीं हंसाती है तो कहीं रुलाती है…हालांकि, लोगों को करण जौहर की रॉकी और रानी की प्रेम कहानी फिल्म से काफी उम्मीदें थी, जो पूरी नहीं हुईं.

Rocky Aur Rani Ki Prem Kahani ना तो कोई ज्यादा महान फिल्म है और ना ही बेकार…ये एक ठीक-ठाक फिल्म है…वन टाइम वॉच है….इस फिल्म को इशिता मोइत्रा, शशांक खेतान और सुमित रॉय ने लिखा है. तो वहीं, इस फिल्म में रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, धर्मेंद्र, जया बच्चन, शबाना आजमी मुख्य भूमिका में है. कहानी क्या है Rocky Aur Rani Ki Prem Kahani लेकिन प्रेम कहानी इंटरवल के बाद शुरू होती है. इंटरवल से पहले रॉकी के दादा जी (धर्मेंद) और रानी की दादी जी (शबाना आजमी) की प्रेम कहानी चलती है. जो ज्यादा खास नहीं है…

असली कहानी इंटरवाल के बाद शुरू होती है…Rocky Aur Rani Ki Prem Kahani दिल्ली में रहने वाले ऐसे दो प्रेमियों (रॉकी रंधावा और रानी चैटर्जी) की है, जो एक-दूसरे से बिल्कुल उलट हैं. रॉकी रंधावा शहर के सबसे बड़े मिठाई वाले खानदान का वारिस है. रॉकी की लाइफ का एक ही मकसद है, मजे करना. वो अपनी बॉडी बनाता है. अतरंगी कपड़े पहनता है…पार्टियां करता है. अग्रेंजी बोलनी आती नहीं, फिर भी बोलता है. तड़कते-भड़कते कपड़े पहनता है. रॉकी एक संयुक्त परिवार में रहता है.

रॉकी की रानी चैटर्जी यानी (आलिया भट्ट) से उसके दादा धर्मेंद्र की वजह से मुलाकात होती है. रानी एक न्यूज़ चैनल में एंकर है और बंगाली परिवार से ताल्लुक रखती है. रानी जब रॉकी से पहली बार मिलती है तो वह उसे किसी दूसरे गृह से आया हुआ एलियन लगता है. उसे पहली बार मिलने के बाद वो (रानी) कुछ सेकंड तक हंसती रह जाती है. बातें-मुलाकातें बढ़ने लगती हैं और दोनों में प्यार हो जाता है. लेकिन रानी को लगता है कि दोनों की फैमिलीज़ एक-दूसरे से बिल्कुल अलहदा हैं. उनका कोई मेल ही नहीं है.

ऐसे में वो लोग एक-दूसरे के परिवारों को समझने के लिए तीन-तीन महीने का एक्सचेंज प्रोग्राम लॉन्च करते हैं. यानी रॉकी, तीन महीने रानी के घर रहेगा. और रानी, तीन महीने रॉकी के घर…और देखेंगे की वह एक-दूसरे के परिवार का दिल जीत पाते है या नहीं. मैन कहानी यह थी, लेकिन…यह इंटरवल के बाद शुरू होती है.

अब ये फिल्म कैसी है तो यह फिल्म एवरेज टाइप की फिल्म है…करण जौहर ने इस फिल्म को डॉयरेक्ट किया है, इस फिल्म को देखकर ऐसा नहीं लगता…हां कुछ-कुछ जगह जरूर ऐसा लगता है कि करण जौहर बीच-बीच में इस फिल्म को डॉयरेक्ट करने के लिए आ जाते हो. हां…सेकंड आफ यानी इंटरवल के बाद की फिल्म थोड़ी अच्छी है.

अब एक्टिंग की बात कर लेते है….तो रॉकी रंधावा के रोल में रणवीर सिंह इस फिल्म की जान है. रणवीर सिंह ने इस फिल्म में कमाल की एक्टिंग की है. लेकिन…उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि रणवीर ने खुद का ही थोड़ा ड्रमैटाइज़्ड वर्ज़न प्ले किया है. रणवीर के साथ सिर्फ एक प्रॉब्लम है. वो कब, कहां, क्या कर रहे हैं, पल पल की खबर जनता के पास है. उन्हें आप असल ज़िंदगी में इतना ज़्यादा देख लेते हैं कि उनकी फिल्मों को देखने की एक्साइटमेंट नहीं बचती.

आलिया भट्ट ने इस फिल्म आलिया शानदार काम किया है, लेकिन ये उनके कैरियर की बेस्ट परफॉर्मेंस में एक नहीं कहा जा सकता. वहीं, इस फिल्म में धर्मेंद्र के रोल के साथ न्याय नहीं किया गया. तो जया बच्चन का इस फिल्म केवल और केवल गुस्सा करते दिखाया गया है. वहीं, अब फिल्म के डॉयरेक्शन की बात करे तो करण जौहर का डॉयरेक्श एवरज था. बीच-बीच फिल्म आपको अच्छा लगती है….और कहीं-कहीं फिल्म को देखकर लगता है कि इसे बनाया ही क्यों गया?

फिल्म बहुत लंबी है पौन तीन घंटे की है…देखते-देखते कहीं ना कहीं आपको लगता है कि फिल्म थोड़ी छोटी हो जाती. फिल्म का म्यूजिक अच्छा है…कही-कही पुराने गाने को फिल्म में ब्कग्राउंड म्यूजिक में यूज किया गया है. कही-कही वो बहुत अच्छे लगते है और कही-कही पर वो बेकार भी लगते है. यह फिल्म ठीक-ठाक है इसे फिल्म को ज्यादा अच्छी नहीं कहा जा सकता है. इस फिल्म को फैमिली के साथ देखा जा सकता है…लेकिन एक दिक्कत है कि इस फिल्म में किसिंग सीन जबरदस्ती के डाले हुए लगते है….उन सीन के बिना भी यह फिल्म बन सकती थी.