जनपद पौड़ी में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति पाने वाली एक शिक्षिका पर विभाग अब शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है। दरअसल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोटगढ़ में सेवारत प्रभारी प्रधानाचार्य ने ओबीसी का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर शिक्षिका की नियुक्ति पाई है। शिक्षिका महिला अपने मायके से सामान्य जाति के अंतर्गत आती है लेकिन उनका ससुराल पक्ष ओबीसी वर्ग से है। शादी के बाद महिला ने ससुराल पक्ष से ओबीसी का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया जिसके आधार पर उन्होंने ओबीसी आरक्षण के तहत शिक्षिका की नियुक्ति पाई। अब 17 वर्षों बाद पयासू गांव निवासी राजेश सिंह कोली राजा की शिकायत पर राजस्व उप निरीक्षक की जांच में प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया है। तहसील प्रशासन का कहना है कि चमोली तहसील प्रशासन को प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने की जल्द संस्तुति भेजी जाएगी। राजस्व उप निरीक्षक गजेंद्र दत्त रतूड़ी की जांच में पाया गया है कि प्रभारी प्रधानाचार्य सितोनस्यू पट्टी के श्रीखोंन गांव मैं महिला का मायका है जिनका विवाह चमोली के क्षेत्रपाल गांव में हुआ था। वह मायके से सामान्य जाति की है लेकिन उन्हें चमोली तहसील से ससुराल पक्ष से ओबीसी प्रमाण पत्र जारी हुआ है। यहां बता दें कि व्यक्ति की जाती नियमानुसार जन्म से नियत मानी जाती है ऐसे में प्रभारी प्रधानाचार्य को ससुराल से प्रमाण पत्र कैसे जारी हो गया यह जांच का विषय है। जांच में फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर नौकरी पाने को लेकर मुकदमा दर्ज किए जाने की संतुति की गई है।महिला शिक्षिका माधुरी पुंडीर यदि जांच में दोषी पाई जाती है तो विभाग उनसे पिछले 17 वर्षों से वेतन एवं अन्य भत्तों की रिकवरी कर सकता है। साथी स्थानीय लोगों की मांग है कि दोषी तत्कालीन तहसील प्रशासन के अधिकारी एवं कर्मचारियों सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।