श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में आटिज्म ग्रसित बच्चों के साथ मनाया विश्व आटिज्म दिवस

 व्यावहारिक बातों पर ध्यान देकर आॅटिज्म ग्रसित बच्चों का बेहतर उपचार सम्भव

 आॅटिज्म लक्ष्णों को शुरूआती चरण में पता लगने पर जल्द शुरू करवाएं उपचार

 सही समय पर आॅटिज्म के उपचार से बच्चों में होता है अप्रत्याशित सुधार

 

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में विश्व आॅटिज्म दिवस मनाया गया। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के शिशु रोग विभाग के चाइल्ड डेवलपमेंट यूनिट की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आॅटिज्म से प्रभावित बच्चों के अभिभावकों ने प्रतिभाग किया। चालड डेवलपमेंट विशेषज्ञ डाॅक्टरों ने उन्हें परामर्श एवम् महत्वपूर्णं जानकारियों दीं। कार्यक्रम के दौरान बच्चों को ग्रुप एक्टिविटी करवाई गई। विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया व प्रमाण पत्र भी दिए गए।

मंगलवार को कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ रागिनी सिंह, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने किया। चालल्ड डेवलपमेंट यूनिट की प्रमुख डाॅ श्रुति कुमार ने जानकारी दी कि उनके पास आॅटिज्म के 3000 बच्चे पंजीकृत हैं। इन बच्चों को उपचार के अन्तर्गत नियमित स्पीच थेरेपी, ओक्यूपेशनल थैरेपी, बिहेवियर थैरेपी एवम् काउंसलिंग दी जाती है। विश्व आॅटिज्म दिवस के अवसर पर बच्चों को रूटीन थैरेपी से हटकर ग्रुप एक्टीविटी करवाई गई।

विशेषज्ञों ने अभिभावकों को जानकारी दी कि आॅटिज्म से प्रभावित बच्चों को विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है। जितना जल्दी अभिभावक व्यावहारिक बातों को समझ लेते हैं, उतनी जल्दी आॅटिज्म का उपचार भी शुरू हो जाता है। इन बच्चों के साथ घर पर कैसा व्यवहार किया जाना है ? इन बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से क्या करें क्या न करें। ऐसी छोटी छोटी व्यावहारिक बातों पर ध्यान देकर अभिभावक इन बच्चों के विकास को सही दिशा दे सकते हैं। यह जानकारी विशेषज्ञों ने विश्व आॅटिज्म दिवस के अवसर पर अभिभावकों के साथ सांझा की।

यदि आॅटिज्म से ग्रसित बच्चों के विकार को समय रहते पहचान लिया जाता है तो इस विकार को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है व बच्चों में अप्रत्याशित सुधार हो जाता हैं। शिशु रोग विभाग के प्रमुख डाॅ उत्कर्ष शर्मा ने कहा कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में कई वर्षों से आॅटिज्म का सम्पूर्णं उपचार हो रहा है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल उत्तराखण्ड का एकमात्र अस्पताल है जहां पर आॅटिज्म बच्चें को एक छत के नीचे सम्पूर्णं देखभाल की जा रही है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में अब तक सैकड़ों बच्चे आॅटिज्म का उपचार पाकर लाभान्वित हो चुके हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में साइकोलाॅजिस्ट डाॅ अर्चना सिंह, स्पीच थैरेपिस्ट कीर्ति मित्तल, आचिंत्य, आॅक्यूपेशनल थैरेपिस्ट भाविका गौतम, स्पेशल एजुकेटर संगीता अर्चना एवम् मेघा का विशेष सहयोग रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *