देश को मिली पहली ट्रांसजेंडर सब इंस्पेक्टर। समाज के तानों के बीच भी हिम्मत नही हारी

बिहार में दारोगा पद पर बहाली के लिए 1275 अभ्यर्थी सफल हुए हैं. परिणाम घोषित होने के बाद जो बड़ी खबर निकलकर सामने आई है वो ये है कि इन सफल अभ्यर्थियों में तीन कैंडिडेट ऐसे हैं, जो ट्रांसजेंडर हैं. यानी बिहार में पहली बार एक नहीं तीन ट्रांसजेंडर पुलिस सेवा में नियुक्त होने जा रहा है. इसके साथ ही बिहार देश में पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां दारोगा पद तीन ट्रांसजेंडर की बहाली होगी. अब तक सिर्फ केरल में एक ट्रांसजेंडर सिपाही बना है. बिहार दारोगा में सफल हुए तीन ट्रांसजेंडर में एक मानवी मधु कश्यप भी हैं.

 

मानवी मधु कश्यप भागलपुर की रहने वाली हैं, जिन्होंने लंबे संघर्ष के बाद ये मुकाम हासिल किया है. लोगों की प्रताड़ना के कारण मानवी को साल 2014 में अपना घर छोड़कर निकलना पड़ा. सामाजिक स्तर पर तमाम परेशानियों को झेलते हुए और दारोगा बनने की चाह में मानवी 2022 में पटना पहुंची. यहां भी इनकी परेशानी कम नहीं रही, वो कहती हैं कि कोई अपनी कोचिंग में जगह देने के लिए तैयार नहीं था. आखिर में गुरु रहमान के पास पहुंची और उन्होंने इनका हौसला बढ़ाया.

 

गुरू रहमान ने मानवी के साथ दो अन्य ट्रांसजेंडर को भी दारोगा की परीक्षा पास करने में पूरी मदद की. मानवी मधु कश्यप अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ-साथ गुरू रहमान को भी देती हैं, जिनकी मदद की बदौलत आज वो अपने सपने को पूरा कर पाईं हैं. उनका कहना है कि ट्रांसजेंडर का जीवन आसान नहीं होता है, लेकिन इन सभी लोगों ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है. मानवी ने सीएम नीतीश कुमार का भी धन्यवाद दिया है.

 

मानवी मधु कश्यप ने पॉलिटिकल साइंस से बीए ऑनर्स किया है. मधु दारोगा की तैयारी के लिए 5 से 6 घंटे तक नियमित पढ़ाई करती थी. काफी परेशानी का सामना करते हुए उनके साहस ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा दिया. मानवी के पिता इस दुनिया में नहीं हैं. मां हैं जो मानवी के साथ हमेशा खड़ी रहीं. अब गांव जाकर वो अपनी मां को वर्दी में सैल्यूट करना चाहती हैं.

मानवी का कहना है कि वो दारोगा बनकर अपने समाज के लोगों की सामाजिक स्थिति में सुधार लाने का काम करेंगी. उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर भी ईश्वर की ही देन हैं और उन्हें अलग तरह से देखना सही नहीं है. ट्रांसजेंडर के प्रति समाज में गलत रवैये को देखकर मनु का मन विचलित हो उठता था, वो दारोगा बनकर अब अपने समाज के लोगों को भी इज्जत दिलाना चाहती हैं और समाज में ट्रांसजेंडर के प्रति लोगों के व्यवहार को बदलना चाहती है.

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