गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में सुबह 3 बजे से ही पहाड़ जाने वाले यात्रियों की भीड़ शुरू हो जाती है। सीधे साधे पहाड़ के लोगों को लूटने के लिए बैठे इन फल सब्जी विक्रेताओं द्वारा आए दिन यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। यात्रियों को पहले फल सब्जी के रेट कुछ और बताए जाते है और पैसे काटते समय ज्यादा पैसे काटे जाते है और फिर ग्राहक से कहा जाता है आपने शुरू में ठीक से नहीं सुना होगा।
ऐसे में सामान वापस करने की बात आती है तो सुबह सुबह सामान वापस नहीं होगा ये बोलकर घुमा फिराकर यात्रियों से लूट मचाई जाती है। और अगर पहाड़ के किसी यात्री ने थोड़ी सी भी बहस कर दी तो ऊंचा पैजामा और सफेद टोपी वाले सारे मिलकर आपको घेरकर खड़े हो जाएंगे जिसके बाद आप इन लुटेरों के हाथ लुटते हुए चुपचाप जाकर अपनी बस में बैठ जायेंगे। कई बार तो ये भी देखा गया की एक साथ ज्यादा फल सब्जी खरीदने पर यात्री पहाड़ पर अपने गांव जाकर जब उन्हें खोलकर देखता है तो पता चलता है उसे उसे सारा खराब सामान बांध कर दे दिया गया। इस तरह के अपराध को बढ़ावा देने के पीछे सबसे बड़ा हाथ है पुलिस का। सिर्फ दो कदम की दूरी पर बनी बाजार पुलिस चौकी का इन अपराधियों में डर नहीं है क्योंकि अक्सर देखा गया है की लकड़ी पड़ाव का कोई भी मामला बाजार पुलिस चौकी में आता है तो दोनो पक्षों की बात न सुनकर उनके बीच समझौता कराने वाले दलालों की बात पुलिस द्वारा सुनी जाती है मानो बाजार पुलिस चौकी को पुलिस नही दलाल चला रहे हो। इस का जीता जागता उदाहरण तब सामने आया जब पिछले दिनों पितृपक्ष के दौरान गोविंद नगर निवासी एक स्थानीय व्यक्ति के साथ फल सब्जी विक्रेताओं ने ऐसे ही लूटने और डराने धमकाने की कोशिश करी। और पुलिस ने लिखित शिकायत पर जब सब्जी वाले को चौकी बुलाया तो गोखले मार्ग की आधी सब्जी मंडी यानी आधा लकड़ी पड़ाव बाजार पुलिस चौकी पहुंच गया और पुलिस ने फिर एक बार दलालों की बात मानी और सबसे पहले शिकायतकर्ता की तहरीर बदलवाई और बार बार बोलने पर दस दिन बाद NCR काटी। ऐसे में साफ दिखता है की पहाड़ के लोगों को लुटवाने में और लकड़ी पड़ाव, काशीरामपुर, गाड़ीघाट और कौड़ियां जैसी जगह में अपराध को बढ़ावा देने में पुलिस का पूरा पूरा हाथ है।