कोटद्वार। लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज के जंगल में हाथी का कंकाल मिलने से विभागीय गश्त पर सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि, दांत सुरक्षित मिलने से विभागीय अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है। कोटद्वार रेंज की खैरगडी बीट कक्ष संख्या 1 में बीते कुछ दिनों पूर्व एक नर हाथी का कंकाल मिला। जिसके चलते ही वन विभाग में हड़कम मच गया। वन विभाग के अधिकारी ने आनन-फानन में पशु चिकित्साधिकारी को मौके पर ले जाकर हाथी के कंकाल को एकत्रित कर दफना दिया। इस मौके पर पशु चिकित्साधिकारी की मौजूदगी में हाथी के दांत सुरक्षित पाए गए, जिसके बाद वन विभाग ने राहत की सांस ली। हाथी की मौत के बाद लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज के कर्मचारियों और अधिकारियों की मानसून सत्र की लंबी दूरी गश्त पर तमाम सवाल उठने लगे।
आपको बता दें कि कोटद्वार रेंज की खैरगड़ी बीट कण्वाश्रम से लगभग 8 किलोमीटर दूर है, शायद ही उस बीट में तैनात कर्मचारी आज तक अपनी बीट में गश्त करने गए होंगे। यह हम इसलिए कह रहे है कि अगर बीट में तैनात कर्मचारी गश्त करते तो शायद उन्हें हाथी का शव मिल जाता। लेकिन हाथी की मौत के बाद हाथी के शव को गलने में काफी लंबा समय लगता है सिर्फ मौके पर नर हाथी का कंकाल मिलना इस बात की ओर इशारा करता है की उस क्षेत्र में लंबे समय से वन विभाग का कोई भी अधिकारी कर्मचारी गश्त पर नही गया। बताना जरूरी है कि जंगलों में मानसून सत्र में वन्य जीव तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में वन महकमे में मानसून सीजन में लंबी दूरी की गश्त का प्राविधान है। हाथी का कंकाल मिलने से विभागीय गश्त पर सवाल खड़े हो गए हैं। फिलहाल विभाग यह बताने की स्थिति में नहीं है कि हाथी की मौत किस कारण हुई ।एसडीओ पूजा पयाल का कहना है कि मुझे एक अगस्त को हाथी की मौत के संबंध में जांच का पत्र प्राप्त हुआ है । मैं जांच कर रही हूं, जांच में सभी दस्तावेजों को खंगाला जाएगा, मैंने घटनास्थल का मुआयना कर लिया है। जांच में आगे जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके बाद हाथी की मौत के कारणों का स्पष्ट पता लग पाएगा।