उत्तराखण्ड की इस महिला ने रचा इतिहास, तीन तलाक पर रोक लगवाने में रही मुख्य भूमिका

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नई दिल्ली- मंगलवार का दिन शायद देश की मुस्लिम महिलाओं के लिए सबसे बड़ी खुशी का और ऐतिहासिक दिन होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक पर रोक लगाए जाने के बाद न जाने कितनी मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली है। लेकिन शायद ये बात कुछ ही लोगो को पता होगी कि तीन तलाक पर रोक लगाने की मुहिम शायरा बानो नाम की एक महिला ने छेड़ी थी। आइये आपको बताते है कौन है शायरा बानो। शायरा बानो उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने 2002 में इलाहाबाद के रिजवान अहमद से निकाह किया था। जिससे उनके दो बच्चे भी है। शायरा के मुताबिक उनके ससुराल वालो ने निकाह के कुछ दिन बाद से ही उन्हें दहेज की मांग करके बुरी तरह मारना पीटना और परेशान करना शुरू कर दिया था।

ये सिलसिला कुछ वक्त यू ही चलता रहा जिसके बाद शायरा के पति रिजवान ने शायरा को जबरदस्ती काशीपुर वापस उनके पिता के घर भेज दिया। शायरा के पति से काफी समय तक उनकी बातचीत नही हुई। जिसके बाद साल 2015 में उनके पति ने उन्हें डाक के जरिए तलाक भेज कर रिश्ता खत्म कर लिया। इस तलाक के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इतना ही नही शायरा की याचिका के जरिए मुस्लिमों में कई निकाह करने, तीन तलाक और निकाह-हलाला जैसी कुरीतियों को कानूनी आधार देने वाले मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन एक्ट 1937 की धारा-2 को भी चुनौती दे डाली।

इसके साथ ही शायरा ने याचिका में सऊदी, पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध का भी जिक्र किया गया है साथ ही कहा गया है कि भारत जैसे प्रगतिशील देश में ऐसे नियमो की कोई जरूरत नहीं है।

शायरा के अलावा फ़ोन पर पति द्वारा तलाक देने से पीड़ित मध्यप्रदेश की इशरत जहां भी इस मामले में याचिकाकर्ता हैं
इसी के साथ ‘भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन’ नाम की संस्था ने ‘मुस्लिम वूमेन्स क्वेस्ट फॉर इक्वेलिटी’ नाम से एक लेटर लिखा था। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए याचिका के रूप में स्वीकार किया और सुनवाई शुरू कर दी। ये तीनों याचिकाएं ही थी जिनकी वजह से ट्रिपल तलाक को रोके जाने गवाह, सबूत आदि मिलते रहे।
आपको बता दे कि ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया है। तीन जजों ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार दिया। साथ ही चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्‍दुल नजीर ने अपने फैसले में ट्रिपल तलाक पर छह महीने के लिए रोक लगाई और कहा था कि सरकार इस पर कानून बनाए। जस्टिम नरीमन, जस्टिम यूयू ललित और जस्टिस कुरियन जोसफ ने ट्रिपल तलाक को पूरी तरह गलत बताते हुए अपने फैसले में इसे असंवैधानिक करार दिया
तीन तलाक के मामले पर उच्‍चतम न्‍यायाल के पांच जजों की बेंच ने तलाक के पक्ष और विपक्ष में छह दिन तक दलीलें सुनीं थीं, इस सुनवाई के दौरान कुल 30 पक्ष अपनी दलीलें अदालत के सामने रख चुके हैं।

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