उत्तराखण्ड की ये नारी तेंदुए पर पड़ी भारी। अपने कुत्ते को मौत के मुंह से बचा लायी

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देवभूमी उत्तराखण्ड की महिलाये आज किसी भी छेत्र में पीछे नही रह गयी है। पहाड़ की कठिन परिस्तिथयो में रहकर परिवार चलाना हो, शिक्षा, खेल, व्यवसाय या कोई भी छेत्र हो महिलाएं अब पीछे नही।
वही एक और उत्तराखण्ड की नारी की कहानी आज हम आपको सुना रहे है जिसने अपने कुत्ते को बचाने के खातिर तेंदुए से ही भीड़ गयी। इस महिला ने तेंदुए का बहादुरी से सामना किया है। ये महिला तेंदुए के जबड़े से अपने पालतू कुत्ते को छीन लाई। जरा सोचिए तेंदुए के सामने जाने से ही लोग घबरा जाते हैं। इस खतरनाक जानवर के बारे में कहा जाता है कि इंसान भी इसका मुकाबला नहीं कर सकता है। तेंदुए की तेजी बड़ी खतरनाक होती है। खासकर उत्तराखंड के गांव गाव में तेंदुए का बड़ा डर है। इससे पहले भी उत्तराखंड के कैंची गांव में एक महिला ने तेंदुए का हिम्मत से सामना किया था। इस समय कैंची गांव में मनीराज की पत्नी भगवती देवी ने तेंदुए से दो दो हाथ कर डाले थे। चार मिनट के संघर्ष बाद तेंदुए को भगवती की हिम्मत के आगे घटने टेकने पड़े।
और इस बार गरमपानी खैरना बाजार क्षेत्र की महिला हेमा ने तेंदुए का डटकर मुकाबला किया। तेंदुआ बाजार क्षेत्र के ऊपरी हिस्से में घात लगाए बैठा हुआ था। अचानक तेंदुए ने कैलाश तिवारी के घर के पास बरामदे में घूम रहे पालतू कुत्ते पर धावा बोल दिया । इसके बाद तेंदुआ कुत्ते को मुंह में दबाकर जंगल की ओर भाग गया। अपने पालतू कुत्ते के लिए हेमा ने अपनी जान जोखिम में डाल दी। लोगों में हड़कंप मच गया। हाईवे से करीब 200 मीटर दूर जंगल तक हेमा गई और अचानक तेंदुए से सामना हो गया। पहले हेमा ने तेंदुए पर पत्थरों से हमला बोल दिया। हेमा ने तेंदुए पर तब तक पत्थर से वार किया, जब तक उसने कुत्ते को नहीं छोड़ दिया। इसके बाद हेमा कुत्ते को सुरक्षित घर ले आई। जो मिला कुत्ते के लिए तेंदुए से भिड़ गए वो क्या नही कर सकती। पर हमारे यहां आज भी कई जगह महिलाओं की कद्र नही की जाती।

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