आओ! जरा सोचिए।
पाॅर्न स्टार सनी लियोने आदर्श हो सकती है तो
दुष्कर्म की शिकार युवती क्यों मुंह छिपाए?
– जो जुर्म उसने किया ही नहीं, वह उस सजा को क्यों भुगते,
आज बाॅलीवुड की हिरोइन सनी लियोने ़ऋषिकेश में है। वह परमार्थ निकेतन में दीक्षा लंेगी। मैं सनी लियोने का न तो समर्थक हूं न विरोधी और न ही प्रशंसक। मैं सनी को भारतीय समाज के उस आईने के रूप में देख रहा हूं कि जिसमें समाज के दो चेहरे नजर आते हैं। एक वो चेहरा जो पोर्न फिल्मों की बदनाम नायिका को अंगीकृत कर लेता है और उसके बेबी डाॅल गाने के बोल गुनगनाते हुए गर्व सा महसूस करता है तो दूसरा चेहरा दुष्कर्म की शिकार उस पीड़िता का है जिसका कोई कसूर नहीं है और समाज उसे बलात्कार की शिकार होने के बाद प्रताड़ित करता है। उसे इसका जिम्मेदार ठहराता है और उसे दुश्चरित्रा कहा जाता है। सनी को समाज ने अपना लिया है, इसका मैं विरोध नहीं कर रहा, लेकिन समाज उस पीड़ित युवती या महिला को भी इतने ही खुले दिल से क्यों नहीं अपनाता। जबकि सनी ने जिस्म बेचा और पीड़ित का जिस्म हीं नहीं आत्मा को भी लूटा गया। पीड़ित को उस जुर्म की सजा भुगतनी पड़ती है जो उसने किया नहीं बल्कि भोगा। राजपुर रोड के जाखन में एक एनजीओ है समाधान। एडवोकेट रेनू डी सिंह इस एनजीओ को संचालित करतीं हैं। उनके इस एनजीओ में बलात्कार और उत्पीड़न की शिकार युवतियों व महिलाओं का जीवन संवारा जाता है। समाधान के माध्यम से दुष्कर्म की शिकार युवतियों में से कई आज जज हैं और महिला वकीलों की भरमार है। समाधान में पीड़ित लड़कियों को वकालत कराई जाती है ताकि वह अपनी लड़ाई स्वयं लड़ें और अपने जैसे पीड़ितों की मदद कर सकें। मगर, यह विडम्बना है कि रेनू डी सिंह को भी लोग ब्लैकमेलर और पता नहीं क्या-क्या कहते हैं। पीड़ित लड़कियों को समाज से बचाया जा सके, इसलिए उनका रिकार्ड समाधान से बाहर निकलते ही समाप्त कर दिया जाता है। महज इसलिए कि वह समाज में सम्मान से जी सके, उसकी पहचान छुपी रहे कि वह दुष्कर्म पीड़ित है। समाज अपनी मानसिकता तो बदले, ताकि समाधान में अपने अधिकारों और सम्मान की लड़ाई लड़ने वाली यौन शोषण की शिकार युवती भी समाज में आदर्श बन सके। उसे छिपने या समाज से बचने की जरूरत न पड़ें। सोच बदले, समाज बदलेगा और समाज बदलेगा तो देश बदलेगा।