शराब के खिलाफ पूरे पहाड़ में आन्दोलन चल रहा है.हालांकि शराब की दुकाने खुलवाने पर आमादा प्रशासन से लेकर शराब के कारोबारी तक यही कह रहे हैं-अब कहाँ है आंदोलन,अब तो दो-तीन ही जगह बचा है.लेकिन हकीकत यह है कि गढ़वाल मंडल में ही भटवाड़ी, घनसाली, जखोली,संगलाकोटी,श्रीनगर,देवाल और कर्णप्रयाग समेत विभिन्न जगहों पर शराब के खिलाफ आन्दोलन चल रहा है.देहरादून और कुमाऊं मंडल में भी विभिन्न जगहों पर महिलायें शराब के खिलाफ सडक पर लड़ रही हैं.
शराब की लत से लोग किस तरह होश-ओ-हवास खो रहे हैं,इसका नजारा शराब की दुकान के सामने दिखाई देता है.कर्णप्रयाग में ही परसों जब महिलाओं ने शराब की दुकान को जाने वाले रास्ते के सामने धरना दे दिया तो वहां शराबियों का भी जमघट लग गया.शराब लेने के लिए शराबी भाई लोग तीन-तीन घंटे इन्तजार में खड़े रहे है कि महिलायें दुकान के सामने से हटें तो वे शराब लें.शराब के लिए आदमी घंटों जल बिन मछली की तरह तड़पता रहे,यह कैसी त्रासद स्थिति है?एक और स्थिति देखने में आई कि शराब लेने के लिए जो मरने-मारने पर उतारू हो रहे थे,वे सब पहले से पिए हुए थे.यानि आदमी पहले से शराब पी कर फिर दिन-दोपहरी फिर दोबारा शराब पाने के लिए झगड़ रहा है.यह स्थिति शराब माफिया की तिजोरी तो भर सकती है,उसका कुछ अंश सरकारी खजाने में पहुँच सकता है.लेकिन यह कितने परिवारों को तबाह कर रही होगी,इसका सहज ही अंदाज लगाया जा सकता.
इस बीच श्रीनगर से खबर मिली है कि पुलिस ने शराब विरोधी आन्दोलनकारियों पर वहां मुकदमा दर्ज कर लिया है.देवाल,पौड़ी आदि के बाद श्रीनगर भी एक और जगह हो गयी है,जहाँ उत्तराखंड की भाजपा सरकार और उसके प्रशासनिक तंत्र ने शराब के खिलाफ आन्दोलन करने वाली महिलाओं और पुरुषों पर मुकदमा कर दिया है.भाजपाई जगह-जगह सवाल पूछ रहे हैं कि पिछली सरकार के जमाने में आन्दोलन क्यूँ नहीं हुआ?भाई पिछली कांग्रेसी सरकार को जनता ने डेनिस प्रेम का जो दंड दिया है वह सबके सामने है.सवाल तो भाजपाईयों से ही बनता है कि भाई तुम भी तो विपक्ष में थे,तुमने ने क्यूँ नहीं किया आन्दोलन?हमने तो जो करना था किया ही,जम कर लिखा बोला-हरीश रावत के डेनिस प्रेम पर.
भाजपा के 2017 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र (जिसे उन्होंने दृष्टि पत्र नाम दिया था) के पेज नम्बर 16 पर लिखा हुआ है कि “नशाखोरी के बढ़ते दुष्प्रभावों के मद्देनजर विशेष पहल की जायेगी”. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत समेत तमाम भाजपाईयों से यह सवाल है कि यही है वह विशेष पहल कि भाजपाई खुल कर शराब की दुकाने खुलवाने के लिए जी-जान लगा देंगे ?नशाखोरी की बढ़ते दुष्प्रभावों पर यही आपकी विशेष पहल, शराब विरोधी आन्दोलनकारियों का दमन करके पूरी होगी?
लेख इंद्रेश मैखुरी