दुःखद : नहीं रहे पहाड़ी टोपी देश भर में पहचान दिलाने वाले कैलाश भाई

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चमोली : पहाड़ी टोपी को प्रदेश ही नहीं देश भर में पहचान दिलाने वाले हरफनमोला कलाकार कैलाश भट्ट हमारे बीच नहीं है। सोमवार को देहरादून में एक लंबी बीमारे के बाद उनका देहवसान हो गया है। इस दुखद सूचना से चमोली जिले के साथ ही उत्तराखंड का हर आदमी स्तब्ध है। यूं अचानक कैलाश भाई का चला जाना सबको अचंभित कर रहा है। कैलाश भट्ट काफी समय से बीमार चल रहे थे। सोमवार को अपराह्न बाद उन्होंने देहरादून में अंतिम सांस ली। इनका देहरादून इंद्रेश हास्पिटल में इलाज चल रहा था। ये अपने पीछे पत्नी, एक बेटा और एक बेटी को छोड़ गये है। इनके असामयिक निधन पर चमोली जिले में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। कैलाश भट्ट अक्षत नाट्य संस्था से भी जुड़े हुए थे। साथ गोपेश्वर में होने वाली तमाम सामाजिक गतिविधियों में इनकी अहम भूमिका रहती थी। इनके असामयिक निधन पर चमोली के कलाकारों के साथ ही, सामाजिक, राजनैतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने शोक प्रकट किया।

लोगों के सिरों पर गोल पहाड़ी टोपी सजाने वाले कैलाश भट्ट अब नहीं रहे। उनका फूलदेई के त्यौहार के दिन आज निधन हो गया। पहाड़ी टोपी और मिर्ची जैसे पारंपरिक परिधानों से देश दुनिया को परिचित कराने वाले कैलाश भट्ट छोटी उम्र में ही इस दुनिया को अलविदा कह गए। उन्होंने उन पहाड़ी और उत्तराखंडी परिधानों को देश दुनिया के विभिन्न मंचों पर ले जाने का काम किया, जिनको लोग भूल चुके थे। नई पीढ़ी को संस्कृति के प्रतीक और परिचायक परिधानों से साक्षात्कार कराया। लोगों को फिर से उन जड़ों से जोड़ने का काम किया, जिनको लोग भुला और बिसरा चुके थे।

कैलाश भट्ट ने पहाड़ी टोपी और मिरजई परिधान बनाए। उनको नई पहचान दिलाई। फूलदेई त्यौहार के दिन इस हृदय विदारक घटना नें झकझोर कर रख दिया। पहाड़ी टोपी और मिरजई परिधान को बनाने वाले लोकसंस्कृतिकर्मी कैलाश भट्ट दुनिया को अलविदा कह गए हैं।लोकसंस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए भट्ट जी ने शानदार काम किया। लोकसंस्कृति के पुरोधा का यों ही असमय चले जाना है बेहद पीड़ादायक है। जिससे एक खालीपन हो गया है। जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। उन्होंने मिरजई परिधानों से पहली बार साक्षात्कार करवाया। इसको संजोने का बीड़ा खुद के कंधों पर उठाया। जीवनभर चुपचाप लोक की सेवा करते हुये इस दुनिया से चले गये। संजय चौहान ने फेसबुक पोस्ट की है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि उनका जाना मेरे लिये व्यक्तिगत अपूर्णीय क्षति है। विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी पहाड़ी टोपी और पहाड़ी मिरजई परिधानों को कैलाश भट्ट ने नया जीवन दिया था। जनपद चमोली के गोपेश्वर में हल्दापानी में रहने वाले कैलाश भट्ट द्वारा बनाये गए टोपी और मिरजई परिधानों के कई जानी मानी हस्तियाँ प्रशंसक और मुरीद थी।
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