पौड़ी जनपद के लैंसडाउन और रिखणीखाल में बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम कड़ी मशक्कत कर रही है। लेकिन अब तक बाघ पकड़ से बाहर है। वहीं बाघ प्रभावित क्षेत्र से करीब आठ किमी दूर धुमाकोट तहसील छेत्र के बिलकोट गांव में बाघ देखा गया। दहशत के कारण सुरक्षा को देखते हुए यहां के ग्रामीणों ने स्कूली बच्चों को शिक्षकों के साथ समूह में स्कूल भेजा।नैनीडांडा ब्लॉक के ग्राम पंचायत उमटा की प्रधान लक्ष्मी देवी ने बताया कि बुधवार सुबह 7:30 बिलकोट ग्रामसभा में जूनियर हाईस्कूल और प्राथमिक विद्यालय जाने वाले रास्ते में बाघ दिखाई दिया। जिस पर वहां के ग्राम प्रधान दीनू चतुर्वेदी ने बच्चों को स्कूल जाने से रोक दिया। शिक्षकों के पहुंचने के बाद बच्चों को सुरक्षित विद्यालय तक भेजा गया। उन्होंने बताया कि हमलावर बाघ को ट्रेस करने के लिए गांव में छह जोड़ी कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं। कहा कि वन विभाग ने गांव के समीप चमाड़ा सड़क तक पिंजरा पहुंचा दिया गया है। लेकिन सड़क से गांव तक ढलान अधिक होने और पिंजरा करीब पांच कुंतल वजन होने के कारण अभी तक गांव तक नहीं पहुंचाया जा सका है।
उधर, गढ़वाल वन प्रभाग के दीवा रेंज अधिकारी महेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बाघ के बिलकोट गांव में दिखने की सूचना के बाद वन विभाग की टीम ने बनिया गांव, ध्यानी गांव होते हुए बिलकोट तक गश्त की। बताया कि पिंजरे को गांव तक पहुंचाने के लिए श्रमिकों की तलाश की जा रही है। यहां लगाए गए कैमरा ट्रैप में भी बाघ कैद नहीं हो सका है। इसके साथ ही अब अब पौड़ी के कई मार्ग ऐसे हो चुके है जहा बाघ के डर से दोपहिया वाहन से जाना सुरक्षित नही। हमारी आपसे अपील है की इस समय जितना हो सके बाइक और स्कूटी से वन मार्गों पर सफर करने से बचें।