नई दिल्ली- पिछले काफी समय से चल रहे तीन तलाक के मुद्दे पर अब नया मोड़ आ रहा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस संबंध में मौलवियों और काजियों को दिशा निर्देश जारी करेगा। जिसमे इस बात की सलाह दी जाएगी कि भविष्य में होने वाले निकाहनामे में दूल्हा दुल्हन तीन तलाक को अपने जीवन का हिस्सा कभी नही बनने देंगे। इसके साथ ही दूल्हे को बताया जाएगा कि वह एक बार में तीन तलाक नहीं दे सकेगा, क्योंकि इसे शरीयत में भी गलत माना गया है। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तीन तलाक की वैधानिकता पर बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। सुनवाई के दौरान पीठ ने बोर्ड से पूछा था कि क्या निकाहनामे में तीन तलाक को नकारने का विकल्प शामिल किया जा सकता है? कोर्ट के निर्देश पर सोमवार को बोर्ड ने हलफनामा दाखिल किया। तीन तलाक वालों का सामाजिक बहिष्कार होगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मोहम्मद फजलुर्रहमान ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड अपनी वेबसाइट पर, सोशल मीडिया और प्रकाशन के जरिए निकाह कराने वाले काजी और मौलवियों को दिशा-निर्देश जारी करेगा।
बोर्ड ने हलफनामे के साथ अपनी कार्यसमिति की गत 15 और 16 अप्रैल की बैठक में पारित प्रस्ताव को भी संलग्न किया है। वह प्रस्ताव न सिर्फ एक बार में तीन तलाक की मनाही करता है बल्कि उसमें पति पत्नी के आपसी मतभेद निपटने के बारे में गाइडलाइन भी जारी की गई है।
बोर्ड मुस्लिम समुदाय के लोगो को जागरूक करेगा जिसमें तीन तलाक देने से रोका जाएगा। एक बार में तीन तलाक नहीं कहा जाएगा। बोर्ड इस संदेश को मुसलमानों के सभी तबकों तक पहुंचाएगा। इसके लिए इमामों और उपदेशकों की भी मदद ली जाएगी।
इस तरह ले सकेंगे तलाक
आपस में विवाद या मतभेद होने पर पति और पत्नी आपसी सहमति से पहले तो उसका हल निकालेंगे। अगर सुलह न हो तो कुछ समय के लिए दोनों अलग हो जाएंगे। ये दोनों तरीके फेल हो जाने पर दोनों पक्षों के बुजुर्ग और मध्यस्थ के जरिए सुलह की कोशिश होगी।
अगर तब भी सुलह नहीं हुई तो पति सिर्फ एक बार तलाक बोलेगा और पत्नी इद्दत अवधि पूरी करेगी। अगर इद्दत के दौरान सुलह हो गई तो ठीक है, नहीं तो इद्दत पूरी होने के बाद शादी खत्म हो जाएगी। इद्दत अवधि पूरी होने के बाद सुलह होती है तो दोनों आपसी सहमति से फिर निकाह कर सकते हैं।