मंत्री अरविंद पांडे सम्मेलन में बोले पानी नहीं पीओगे तो मर नहीं जाओगे। मेयर को बोले ऐ चुपचाप बैठो

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हरिद्वार। हरकी पैड़ी में त्रिस्तरीय पंचायत सम्मेलन के दौरान पंचायतीराज और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय पंचायत प्रतिनिधियों पर भड़क उठे। उन्होंने कहा, ‘एक दिन दो घंटे पानी नहीं पीओगे तो मर नहीं जाओगे, शर्म करो इंसान बनो।’ इसके बाद कई प्रतिनिधि उठे और यह कहते हुए लौट गए कि वह यहां अपमान कराने नहीं आए हैं।
पंचायत प्रतिनिधियों की गलती इतनी थी कि तेज धूप में दो घंटे बैठने के बाद उन्होंने आयोजकों से पीने का पानी मांग लिया। इस पर पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय ने मंच से ही पंचायत प्रतिनिधियों को खरी खोटी सुना डाली। वह इतने गुस्से में थे कि उन्होंने मेयर मनोज गर्ग से भी कह दिया कि ‘ऐ चुपचाप बैठो’। मेयर केवल उनके गुस्से को शांत कराने के लिए उठे थे। लेकिन, मंत्री गुस्से में बहुत कुछ कह गए। माहौल बिगड़ता देख पूर्व सांसद बलराज पासी उठे और माइक की ओर जाने लगे। इसी दौरान लक्सर विधायक संजय गुप्ता मंच पर ही मंत्री के समर्थन में नारेबाजी करने लगे। पासी ने उन्हें शांत होकर बैठने को कहा। पासी के इशारे पर मंत्री बोले कि ‘बहुत हो गया अब’। ‘कहां है प्रशासन! हल्ला करने वालों को बाहर निकालो।
पंचायत प्रतिनिधि, विधायक और मंत्री बनना आसान है, इंसान बनो पहले। इंसान बनना मुश्किल है। एक दिन दो घंटे पानी नहीं पीओगे तो मर नहीं जाओगे। कमियां हर किसी में हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि मैंने आंदोलन के लिए नहीं बुलाया। पानी के लिए आंदोलन करने वालों को शर्म आनी चाहिए। मैं कमीशनखोरी करने वाला नेता नहीं हूं, गरीब का बेटा हूं। जो सुझाव दोगे सुनूंगा और पूरा करके दिखाऊंगा।’ उन्होंने कहा, ‘हल्ला करने वालों का वीडियो बना है। उनके विधानसभा क्षेत्र में जाऊंगा। इस कार्यक्रम को विफल करने वाले दलाल हैं। नेताओं के लिए यहां कोई जगह नहीं।’
पंचायत प्रतिनिधियों ने किया सम्मेलन का बहिष्कार
पंचायतीराज मंत्री की खरी-खोटी के बाद कई प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया। जिला पंचायत सदस्य सल्ट नारायण सिंह रावत बोले, ‘हमें मूर्ख बनाने के लिए यहां बुलाया गया। गला सूख गया तो पानी मांगना अपराध है क्या। मंत्रीजी कह रहे हैं कि शर्म करो और इंसान बनो। क्या यहां आए लोग जानवर हैं’। नरेंद्रनगर जिला पंचायत सदस्य सरदार पुंडीर बोले, ‘मंत्रीजी को नहीं पता कि वह क्या बोल गए। प्रतिनिधियों को बोलने का मौका मिलना चाहिए।’ इनके अलावा पंडाल में बैठे कई प्रतिनिधि भी मंत्रीजी के व्यवहार से नाराज थे। उनका कहना था कि मंत्री धरातल पर जाकर देखें तो पता चलेगा कि पंचायतों के हाल क्या हैं। शपथ दिलाने से पंचायतों में सुधार नहीं आने वाला। महिला प्रधानों का कहना था कि जब व्यवस्था नहीं कर सकते थे तो बुलाया ही क्यों।’

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