कोटद्वार- कुछ दिन पहले पुलिंडा रोड पर चाचा भतीजी से हुई लूट और अश्लील फोटो खींचे जाने की घटना के बाद शहर में इस घटना को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ लोगो का मानना है की पुलिस द्वारा इस घटना को जिस तरह से आम जनता के सामने बताया गया वो लोगो के गले नही उतर रही है।

दरअसल पुलिस के अनुसार बीते 20 मई की दोपहर लगभग 1 बजे पुलिंडा गांव जा रहे चाचा भतीजी को दो मोटरसाईकिलों पर आये चार युवकों ने उस वक्त घेर लिया था जब वे पानी पीने के लिए रास्ते मे रूके थे। जिसके बाद युवकों ने चाचा भतीजी के साथ गालीगालौच, मारपीट और उसके अश्लील फोटो खींचे थे। घटना होने के बाद कोटद्वार थाने पहुंचे युवती के चाचा ने पुलिस को इसकी सूचना दी थी। पुलिस के अनुसार सूचना पाते ही पुलिस पीड़ित को लेकर पुलिस घटनास्थल की ओर रवाना हुई, जहां पीड़ितों की शिनाख्त पर वहां मौजूद दो बाईक के साथ मौके पर मौजूद चार युवकों को घटना के डेढ़ घंटे के अंदर गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस के अनुसार पकड़े गये युवकों के पास युवती से छीने गये 6 हजार रूपये व चार मोबाइल बरामद किये गये थे। आरोपी युवकों द्वारा इन चारों मोबाइल में पीड़ित युवती की 6 फोटो खींची गयी थी।
घटना का खुलासा अगले दिन 10.30 बजे करते हुए पुलिस टीम ने कहा कि पकड़े गये आरोपियों ने युवती से 6 हजार रूपये छीनने व फोटो खींचना की बात को स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि चारों आरोपियों को चाचा भतीजी के साथ मारपीट करने, आपत्तिजनक फोटो खींचने व युवती से छेड़छाड़ करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर चारों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। लेकिन बाद में इस घटना को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे, कुछ लोगों का मानना है कि महिलाओं से संबंधित अपराधों के बढ़ने के बाद भी पुलिस द्वारा कार्यवाही न किये जाने को लेकर कई पुलिस कर्मियों की शिकायत विभाग के बड़े अधिकारियों के साथ ही महिला आयोग को भी की गई जिसके बाद भी उन्होंने अब तक उक्त घटनाओं में कोई कार्यवाही नही की, फिर कैसे अचानक पुलिस ने इस बार महिला से संबंधित घटना को गंभीरता से ले लिया, क्या पुलिस उन महिलाओं के लिए नही जिन्हें अधिकारियों और महिला आयोग में शिकायत करनी पड़ी। कुछ लोगो का मानना है कि पुलिस पर इस प्रकरण में तत्काल कार्यवाही करने के लिए विभाग के एक बड़े अधिकारी का फ़ोन  आया था, लेकिन यदि ऐसा था भी तो फ़ोन किसने करवाया था। और ये बात सच इसलिए भी लगती है क्योकि पुलिस द्वारा इस घटना के बाद एक दिन भी गिवइश्रोत चौकी में कोई पुलिसकर्मी तैनात नही किया गया और अब भी वहां लड़के बाइक से स्टंट करने, शराब पीने, जुआं खेलने जा रहे है। इससे साफ जाहिर होता है कि पुलिस को पुलिंडा रोड पर हो रहे अपराधो से मतलब न होकर सिर्फ चाचा भतीजी केस से ही मतलब था। दोबारा ऐसी घटना ना हो पुलिस इस बात को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नही दिख रही। क्योकि इस घटना के बाद भी गिवईंश्रोत पुलिस चौकी पर कोई पुलिसकर्मी तैनात नही है इसलिए पुलिस की लापरवाही साफ दिख रही है। यदि शहर में हो रही इन चर्चाओं में सच्चाई है तो इसका साफ मतलब है कि ये घटना वैसी थी ही नही जैसी पुलिस ने मीडिया के जरिये सब को बताई। और अब भी कई लोग इस घटना में अपने स्तर से घटना की सच्चाई जानने में लगे है जिनका मानना है कि वो पूरी सच्चाई सामने लाकर ही रहेंगे।

दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की मांग

पुलिंडा रोड पर बढ़ती आपराधिक घटनाओं को देखते हुए उस मार्ग के प्रारम्भ में गिवइश्रोत पुलिस चौकी बनाई गई थी, जिससे वहा आने जाने वालों पर नजर रक्खी जा सके।जहा वाहनो की चैकिंग भी हुआ करती थी लेकिन पिछले कुछ समय से वहा कोई पुलिसकर्मी तैनात ही नही रहता जिस कारण अपराधियो के हौसले बढ़ते जा रहे है और वो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे है। इतना ही नही इस घटना के बाद भी उस छेत्र की पुलिसचौकी में कोई पुलिसकर्मी तैनात नही रहता बल्कि आस पास के लोग चौकी के चबूतरे पर ही सुबह शाम ताश खेलते दिखाई देते है। इससे साफ जाहिर होता है कि इस घटना में जितने दोषी गिरफ्तार चारो युवक है उतने ही उस छेत्र के पुलिसकर्मी भी दोषी है। इस संबंध में धरोहर संस्था की अध्यक्ष वंदिनी रावत का कहना है कि घटना में दोषी व लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी शख्त कारवाही होनी चाहिए जिससे अपराधियो में पुलिस का भय बना रहे और भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो।

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