अपने शहर, प्रदेश और देश का विकास कौन नही चाहता, और राष्ट्रीय स्तर पर विकास हो भी रहा है। लेकिन कोटद्वार एक ऐसा शहर बन चुका है जहां विकास नहीं विनाश होता जा रहा है। रोजगार बिलकुल नही, अपराध लगातार बढ़ रहे है, बिजली ज्यादातर समय गुल रहती है। नगर निगम बनने के बाद अब इतने ज्यादा टैक्स लग रहे है और रजिस्ट्रेशन के नाम पर जनता को शोषण हो रहा है जिस कारण छोटे व्यापारी काम धंधा बंद करने को मजबूर हो रहे है, अधिकारियों की स्तिथि ये है की नगर आयुक्त की कोई नही सुनता और छोटे कर्मचारी अपनी मनमर्जी करते है ।
हमारे जनप्रतिनिधियों ने कोटद्वार के लिए क्या कार्य किए है ये किसी से नहीं छुपा। मेडिकल कॉलेज, सेंट्रल स्कूल, राष्ट्रीय धरोहर कर्णवाश्रम का विकास, कोटद्वार को जिला बनाना, सड़कों की बुरी हालत, रोडवेज बस अड्डे का निर्माण……आखिर मिला ही क्या अब तक कोटद्वार की जनता को। कोई तो काम दिखे, जिससे जनता अपने जनप्रतिनिधियों पर किए गए विश्वास पर कायम रह सके।
यही वजह है की नगर निगम के बढ़े हुए टैक्स, बिजली कटौती, बेरोजगारी, बढ़ते अपराधों के कारण ही कोटद्वार की जनता अब पलायन करने को मजबूर होती दिख रही है।