आपदा के बाद केदारपुरी। जानिए किसने लगाया बाबा केदार की करोड़ों की सम्पति की ठिकाने। दानी कर्ण बनने के प्रयास में लूटा गये अधिकारी बाबा का खजाना

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राजेश सेमवाल ’मृदुल’
केदारनाथ। हिमालय में स्थित शिवलोक केदारनाथ बाबा पर देश दुनिया के शिव भक्तों कि आनादि काल से अटूट आस्था रही है। देश दुनिया को केदारनाथ यात्रा से जोड़ने वालें केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों का भी पूरा समाज ऋणी है। कारण यह कि तीर्थ पुरोहितों के पूर्वजों ने विकट समय में भी देश दुनिया में घूम घूम कर यात्रा की अलख जगायी है तो बाबा काली कमली ने जगह जगह सदाब्रत की पर्चीयों और सेठों से प्याउ व धर्मशालायें खुलावाकर तीर्थाटन को देश दुनियां से जोड़ा। यहां श्री बदरीनाथ केदानाथ मंदिर समिति को यात्रा व्यवस्थाओं के संचालन तथा आस्था के स्थालों की अहम जिम्मेदारियां मिली। बीकेटीसी के गौरीकुण्ड, रामबाड़ा से लेकर केदारनाथ तक दर्जनों विश्राम गृह थे। केदानाथ में मन्दिर का भव्य परिसर हिमालय की आभा को दर्शाता है। यहां केदानाथ में तो बीकेटीसी के चांद, शराफा, आरती, मोदी, विडको, शंकराचार्य जैसी कई विश्राम गृह थे। जहां देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, व न्यायाधीशों का अतिथि पंजिका में लिखा वर्णन मिलता है। यही नही उपमुख्य कार्याधिकारी आवास, भगवान केदारनाथ के रावल व पुजारी आवास, और कर्मचारियों के आवास की पूर्ण व्यवस्था के भवन थे। वर्ष 2013 की आपदा में बीकेटीसी के विश्राम भवनों को केदानाथ, रामबाड़ा, गौरीकुण्ड, विजय नगर तक भारी छति हुई और आवास व विश्राम गृह के नाम बीकेटीसी के हाथ खाली हो गये। समय की बढ़ती रफ्तार के साथ केदानाथ की यात्रा ने फिर गति पकड़नी शुरू की पर गौरीकुण्ड से केदानाथ तक समिति एक भी विश्राम गृह तैयार करने की कोशिश करती नजर नही आयी। केदारपुरी का दिव्यता के साथ नवनिर्माण होता जा रहा है। पर बीकेटीसी यहां यहां अपने को अग्रणी करने में नाकाम साबित हुई है। हालात यह बने की श्री बदरीनाथ और केदानाथ मन्दिरों को मिले दान की रकम से कर्ण की दानी बनने की कोशिश में बीकेटीसी के अधिकारियों ने करोड़ों रूपयें अन्य जगह खर्च कर दिये पर नही बना पायी विश्राम गृह और कर्मचारियों के आवास। अब लाख टके का सवाल यह कि जब केदारपुरी में नया निर्माण कार्य हुआ और जारी है तो बीकेटीसी के अधिकारी क्या कर रहे है। केन्द्र व प्रदेश की सरकार द्वारा आपदा में छति पूर्ति लोगों को दी गयी और दिव्यता केदारपुरी को मिल रही है। सवाल यह कि क्या केदानाथ से विजय नगर अगस्तमुनि तक हुई बीकेटीसी की अरबों की संपति के नुकसान का मुआवजा क्या बीकेटीसी को मिला या नही। नही मिला तो साफ है कि यहां के सीईओं व ईओं सरकार के सामने बीकेटीसी का पक्ष रखने में नाकाम साबित हुए है और लगता है कि इनकी कमी के चलते केदानाथ को करोड़ों का नुकसान हो गया। कितना अच्छा होता कि ये अधिकारी और समिति अपनी पैरवी कर केदारपुरी में कर्मचारियों, रावल और बाबा के पुजारियों के लिए आवासीय व्यवस्था बनाती पर किसे फुरसत की सेवा के कार्यो को गति दी जाय। यहां तो दानी कर्ण बनने की होड़ में उच्च अधिकारी सवालों के घेर में आ गये। अब देखना यह होगा कि जिस दिव्य धाम केदारनाथ पर देश के पीएम नरेन्द्र मोदी का अत्यधिक ध्यान है वहां की अहम समस्यायें का कब समाधान होगा।
तो फेल समझे सीईओं व ईओं को
केदारनाथ। आपदा के बाद केदार बद्रीनाथ मंदिर समिति के कर्मचारियों के आवास व विश्रामगृह तहस नहस हो गये थे। तब यात्रा व्यवस्था में कर्मचारियों के अहम योगदान के देखते हुए। बीकेटीसी द्वारा लाखों रूपयें में किरायें के भवनों पर कर्मचारियों को रखा गया है। आपदा के बाद इन 9 सालों में करोड़ों खर्च कर भी खुद की व्यवस्था को बनाने में बीकेटीसी के सीईओं व ईओं पूरी तरह फेल साबित हो गये है। अब हालात यह है कि बाबा को दान मिले धन के लाखों रूपयें किरायें के भवनों का देकर खर्च कर रहे है। इससे समझा जा सकता है अधिकारी किस दिशा में कार्य कर रहे।

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