देहरादून- मोटर वाहन बनाने वाली किसी भी कंपनी द्वारा परिवहन विभाग के मानकों को ध्यान में रखते हुए इस्तेमाल की जाने वाली सभी वस्तुएं गाड़ी में लगाकर ही ग्राहक को दी जाती है लेकिन उसके बाद कई लोग अपनी मर्जी से उसमे अलग से कई तरह की रंग बिरंगी लाइटें लगवा लेते है जो कई बार अन्य पैदल यात्रियों या वाहन चालकों के लिए नुकसानदायक साबित होती है।
इसी को देखते हुए मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने यह फ़ैसला सुनाया है कि अब कोई भी गाड़ी मालिक अपनी गाड़ी में अलग से लाइट नही लगाएगा क्योकि फैंसी लाइट से कई शिकायतें आ चुकी है और कंपनी द्वारा लगाई गई लाइट गाड़ी चलाने के लिए पर्याप्त होती है। दरअसल अधिवक्ता शशांक उपाध्याय ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि गाड़ियों में कंपनी की लगाई लाइट सुरक्षित ड्राइविंग के लिए पर्याप्त होती हैं और अतिरिक्त लाइट से सामने से आने वाले वाहन को दिखाई नहीं देता जिससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है तथा अब तक कई दुर्घटनाएं हुई भी है।
इस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि कम्पनी की लगाई हेडलाइट के अलावा कोई भी लाइट लगाना गैरकानूनी माना जायेगा, साथ ही अदालत ने कहा कि अतिरिक्त लाइटें दुर्घटना का कारण बनती हैं। इसके चलते हाईकोर्ट ने उत्तराखण्ड के सभी परिवहन अधिकारी, जिलाधिकारी, पुलिस प्रसाशन व ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को आदेश दिए कि वाहनों में लगी अतिरिक्त लाइटें हटाई जाएं तथा इस नियम का शक्ति से पालन किया जाए।