भोपाल– देश के कई राज्यो में कुछ ही समय पूर्व हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ पूरे देशभर में बहस बहस का मुद्दा बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ कैग (CAG) ने ईवीएम की खरीदारी में बड़े घोटाले को पकड़ा है। एक आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने राज्य निर्वाचन आयोग और इसके आयुक्त आर परशुराम पर 2013 में खरीदी गई इवीएम मशीनों में वित्तीय घोटाले और अनियमित्ताओं का आरोप लगाया है। दुबे के अनुसार मध्य प्रदेश के निर्वाचन अयोग ने 2013 में आवश्यक्ता से ज्यादा ईवीएम मशीनों की खरीदारी की। वहीं मशीनें खरीदने के समय कई नियमों की अनदेखी भी की गई और एक ही कंपनी को बिना कोई टेंडर किए मशीन सप्लाई करने का आदेश दे दिया गया। उन्होंने कहा कि आरटीआई से प्राप्त सूचना के अनुसार, कैग ने इस खरीदारी पर आपत्ति जताई है और राज्य सरकार द्वारा दिए गए जवाब को भी अमान्य करार दिया है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने निर्वाचन आयुक्त आर परशुराम के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने कहा वित्तीय अनियमित्ता और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ CBI जांच होनी चाहिए। अजय दुबे के अनुसार, राज्य निर्वाचन आयोग ने 133 करोड़ रुपए में हैदराबाद की इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) से ईवीएम मशीनें खरीदी। इसमें 29.82 करोड़ रुपए की ईवीएम का भुगतान अधिक कर डाला। एक अक्टूबर 2013 को निर्वाचन आयुक्त का पदभार ग्रहण करने के चार दिन बाद 4 अक्टूबर को आर परशुराम ने अधिक मशीनें खरीदने के लिए बिना टेंडर बुलाए ईसीआईएल को सप्लाई आर्डर दे दिया, जबकि इसमें पहले की तरह दूसरी कंपनी से किसी से भी कोटेशन या ऑफर नहीं मंगाया गया।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य निर्वाचन आयोग ने 2011 में भारत सरकार के उपक्रमों भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) से ईवीएम खरीदने हेतु दरें मंगवाकर तुलनात्मक अध्ययन किया और ईसीआईएल हैदराबाद से कम दर मिलने पर क्रय किया।
दूसरी तरफ निर्वाचन आयुक्त परशुराम ने एक अक्टूबर 2013 में पदभार ग्रहण करने के फौरन बाद 4 अक्टूबर 2013 को अधिक मात्रा में ईवीएम खरीदी हेतु सीधे ईसीआईएल हैदराबाद से बड़े पैमाने पर खरीदी की।
आयोग ने पूर्व की तरह बीईएल बैंगलोर ने तुलनात्मक दरों के लिए कोई जानकारी नहीं मांगी। इस मामले में महालेखाकार कार्यालय का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग मप्र सरकार के नियमों और वित्तीय संहिता का उल्लंघन किया गया।कैग के अनुसार, महाराष्ट्र निर्वाचन आयोग ने ईवीएम को 9278.35 रुपए प्रति मशीन की दर से खरीदा, जबकि मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग ने इन्हीं मशीनों के लिए 11500 रुपए में खरीदी। अजय दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि मध्य प्रदेश शासन के वित्त विभाग ने ऐसी मशीनें खरीदने की अनुशंसा की थी जो कि पावती देती हों, लेकिन निर्वाचन आयोग ने इस अनुशंसा को दरकिनार करते हुए बिना पावती वाली मशीनों की खरीदी की। गौरतलब है कि पावती वाली मशीनें मतदाता को पर्ची देती हैं जिसमें मतदाता ने किस पार्टी को वोट दिया उसे पता लग जाता है।