नई दिल्ली- दिल्ली हाइकोर्ट में लूटपाट के आये एक केस में दोषी को राहत प्रदान करते टिप्पणी की गई कि किसी भी दोषी को एक बार सुधरने का मौका जरूर मिलना चाहिए जिससे वो समाज मे रहकर कुछ बेहतर काम कर सके।

न्यायमूर्ति आइएस मेहता की पीठ ने एक दोषी द्वारा अब तक जेल में काटी गई तकरीबन तीन वर्ष की अवधि को ही पर्याप्त मानकर उसे रिहा करने का आदेश दिया है। निचली अदालत ने उसे पांच साल की सजा सुनाई थी, जिसमें बदलाव करने की उसने हाई कोर्ट में अपील की थी।

कोर्ट ने कहा कि किसी भी दोषी को सजा देने का उद्देश्य होता है कि वो यह एहसास हो सके कि उसने जो कृत्य किया है, वह सिर्फ समाज के लिए ही नुकसानदायक नहीं है बल्कि वह उसके अपने भविष्य के लिए भी नुकसानदायक है। अदालत ने कहा कि सजा इसलिए दी जाती है ताकि दोषी दोबारा अपराध करने की हिम्मत न करें। कोर्ट ने आदेश में कहा कि दोषी की उम्र 32 साल है जो अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला है। और परिवार में उसके साथ बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे भी है। और अब उसे अपनी गलती का एहसास है।

दरअसल ये मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली का है। जब एक व्यक्ति से वर्ष 2013 में लूटपाट हुई थी। जिसमे पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था। सिंतबर 2015 में निचली अदालत ने इनमे से एक को पांच वर्ष की कैद और 5000 रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अलावा जान से मारने की धमकी देने के आरोप में भी उसे एक साल की सजा सुनाई। दोनों सजा एक साथ चलाई जानी थी। उक्त व्यक्ति ने सजा में बदलाव के लिए हाईकोर्ट में अपील भी दायर की थी।

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