कोटद्वार में नही थम रहा किन्नरों का आतंक, शगुन के नाम पर फिर की बत्तमीजी। शिकायत मिलते ही पहुंची पुलिस। किन्नरों के सत्यापन होना भी जरूरी। लोग डर के कारण नहीं करते शिकायत, अब तक हर शिकायत पर पुलिस ने की है कार्यवाही

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अवनीश अग्निहोत्री (कोटद्वार) कोटद्वार में किन्नरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है, शादी, बच्चे के जन्म या अन्य शुभ अवसर पर शगुन के नाम पर बत्तमीजी करते हुए ये लोग आए दिन परेशान कर रहे है। इस संबंध में हालही में नगर निगम पार्षद सौरव नौटियाल द्वारा आवाज भी उठाई गई थी जिसके बाद उपजिलाधिकारी, स्थानीय पुलिस व सौरभ नौटियाल सहित कई पार्षदों ने किन्नर समुदाय के लोगों संग बैठक भी की थी।

बैठक में प्रशासन द्वारा शख्त हिदायत दी गई थी की किसी भी समारोह में शगुन के तौर पर खुशी से जो मिले उसे रख ले, जोर जबरदस्ती, बत्तमीजी की शिकायत भविष्य में ना मिले। जिसके बाद किन्नर समुदाय के लोगों द्वारा कहा गया की सभी किन्नर बत्तमीजी नही करते पर जो भी ऐसा करते है उन्हे हमारे द्वारा शख्त निर्देश दिए जायेंगे और ना मानने पर कानूनी कार्यवाही भी की जायेगी। इन सब के बाद भी कल कोटद्वार के लकड़ी पड़ाव में एक व्यापारी के घर में घुसकर कुछ किन्नरों द्वारा बत्तमीजी की गई और धमकाया भी गया, काफी समझाने और हाथ जोड़ने पर भी ये नव विवाहित जोड़े को शगुन के नाम पर मोटी रकम मांगते रहे जो परिवार की हैसियत से बाहर थी। किन्नरों द्वारा लगातार की जा रही बत्तमीजी को देख कोटद्वार कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक विजय सिंह को इसकी सूचना दी गई, सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर जाने के लिए रवाना हुई। इसी बीच किन्नर ये कहकर निकल गए की वो दो दिन बाद दुबारा आयेंगे। ऐसा ही एक मामला 5 वर्ष पूर्व गाड़ीघाट में हुआ था जहा एक परिवार में किन्नरों द्वारा शगुन मांगने के नाम पर बत्तमीजी की जा रही थी उस समय भी पुलिस को कॉल करने पर एसएसआई प्रदीप नेगी द्वारा तुरंत कार्यवाही करते हुए किन्नरों के आवास पर पुलिस टीम भेजकर उन्हें थाने आने को कहा गया था तब किन्नरों ने दुबारा ऐसा ना करने की बात जाएगी हुए माफी मांगी थी। दरअसल आम नागरिक पुलिस से किन्नरों की शिकायत करने में डरता है और किन्नर इसी बात का फायदा उठाते है, हालाकि जब भी ऐसे मामलों में पुलिस के पास शिकायत गई है तो उसमे कार्यवाही भी हुई है इसलिए ऐसे मामलों में चुप ना रहकर पुलिस को सूचना अवश्य देनी चाहिए वरना इस तरह के मामले लगातार बढ़ते रहते है। हालाकि किन्नर समुदाय में सभी तरह के लोग इस तरह की हरकत नही करते पर कुछ किन्नरों के कारण पूरे समुदाय का नाम खराब होता है इसलिए पुलिस को इन सभी के सत्यापन भी अवश्य करने चाहिए जिससे पता लगे इनमे कितने स्थानीय किन्नर है और कितने बाहर के किन्नर है। पुलिस कर्मचारियों, श्रमिकों का पुलिस समय समय पर करती है पर इस तरह की घटनाओं से लगता है की किन्नरों का सत्यापन भी आवश्यक है। जनपद की नई वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्वेता चौबे के आते ही नशे के से कारोबार, महिला सुरक्षा, भिक्षावृति जैसे मामलों में लगातार ताबड़तोड़ कार्यवाही की जा रही है ऐसे में किन्नरों के सत्यापन जैसे आवश्यक कार्य भी पुलिस द्वारा किए जाने चाहिए।

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