कोटद्वार में अवैध खनन और भंडारण को लेकर कई बार खूनी संघर्ष की खबरें आ चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी किसी तरह का बदलाव नहीं दिख रहा, यूं तो अक्सर कहा जाता है की खनन माफियाओं पर राजनीतिक दलों का हाथ होता है और ये बात सच होती तब दिखती है जब राजनीति से जुड़े लोग ही खनन के कारोबारी होते है और इसी कारण इन पर अधिकारी भी कार्यवाही नही करते। कोटद्वार में अवैध खनन और भंडारण के लिए सबसे ज्यादा चर्चा में रहना वाला एक व्यक्ति जो खुद को प्रदेश के एक काबीना मंत्री का करीबी बताता है जिसके ऊपर देवी रोड पर सरकारी भूमि कब्जाने, सिंबलचौड़ के सरकारी भूमि कब्जाने, बिना परमिशन खनन सामग्री के भंडारण के आरोप है यहा तक की मेहरबान उर्फ मेहरू की मौत के पीछे भी उसका हाथ होना बताया जाता है। लेकिन स्तिथि ये है की इनसे परेशान आम जनता दबी जुबान में भले ही ऐसे खनन माफियाओं का नाम लेती है पर खुलकर बोलने में डरती है। स्तिथि ये है की अब कोटद्वार में कई नेता खनन के कारोबार से जुड़े होने के कारण एक दूसरे के यहां छापेमारी करवा रहे है, एक दूसरे की ट्रैक्टर ट्रॉली पकड़वा रहे है। वन विभाग के कर्मचारी भी कार्यवाही करने में भेदभाव करते दिख रहे है जिस कारण विभाग के कुछ कर्मियों पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे है। इसी खनन के कारण आज कोटद्वार बाजार को भावर से जोड़ने वाला पुल भी छतिग्रस्त हो चुका है लेकिन फिर भी राजनीति की आड़ के ये खनन का कारोबार बदस्तूर जारी है।