कितने कमाल की बात है। बचपन से जो गाना आपने सुना है ये वो गीत है जो हर हिंदुस्तानी के दिल मे बस्ता है। उस गीत की ये लाइन कुमाऊँ रेजिमेंट को है।

“दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गंवा के. जब अंत समय आया तो कह गए कि हम चलते हैं. खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफ़र करते हैं.’‘
कवि प्रदीप ने ये पंक्तियां  मेजर शैतान सिंह की अगवाई में भारत चीन के बीच जो लड़ाई हुई उस पर आधरित ये लाइन लिखी थी। जिसमे कुमाऊँ रेजिमेंट के 120 जवान हजारों चीनी सैनिकों से लड़ते रह।
वंदे मातरम। 

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